मेरी दुनिया
यह एक शुरुआत है. यह एक कोशिश है; उन बच्चो को पढ़ाने की, शिक्षित बनाने की जो स्कूली शिक्षा से वंचित है. आर्थिक रूप से दबे-कुचले इन बच्चो को स्कुलो की चौखट तक पहुंचाने की जो आज अपने दिनों की शुरुआत किताबो के साथ नहीं बल्कि ऐसे कामो से करते है जो क़ानूनी रूप से उनके लिए प्रतिबंधित है. वे ऐसा मात्र अपने और अपने परिवारों के दैनिक जरूरतों को पूरा करने के लिए करते है.
नई दुनिया की शुरुआत एक ऐसी झुग्गी बस्ती से होती है जहाँ ज्यादातर बिहार एवं उत्तर-प्रदेश पलायन किये हुए गरीब मजदुर अपने परिवार के साथ रहते है. इनका मुख्य पेशा कबाड़ी चुनना एवं उन्हें बेचना है और इस काम में उनका साथ उनके बच्चे देते है जिनकी उम्र ४ साल से लेकर १० साल तक है. बात करने पर इन बच्चो ने बताया की वे सुबह नौ बजे कुछ खाकर घर से निकल जाते है और जगह-जगह से कबाड़ी एकत्र करते है. दोपहर का भोजन उन्हें खुद ही इंतजाम करना होता है . शाम को लौट कर ये बच्चे अपने बस्ती में खेलते है एवं कुछ समय के बाद रात का भोजन कर सो जाते है .
गरीबी एवं अभाव में पलने वाले गन्दी बस्ती के इन बच्चो ने काफी उत्साह दिखाया जब मैंने इन बच्चो के बीच पाठ्य-सामग्री का वितरण किया. इन बच्चो की तार्किक एवं बौद्धिक क्षमता अन्य सभी बच्चो की तरह ही सुदृढ़ एवं विकसित दिखा, फर्क सिर्फ इतना है की ये बच्चे अभाव में जीते है और स्कूल की जगह काम पे जाते है .
मेरी कोशिश है इनको सभ्य नागरिक बनाने की. इसके लिए मैंने अपना कदम आगे बढाया है और इन बच्चो को शाम के समय इनके बस्ती में प्रारंभिक शिक्षा के लिए पाठशाला का आयोजन किया है. यदि आपको मेरा प्रयास सही लगा तो आप भी अपना योगदान दे सकते है मेरी दुनिया से जुड़कर. आपके द्वारा किया गया प्रयास इन बच्चो के भविष्य को उज्जवल बना सकता है .
Vashistha Ray
9211364624
यह एक शुरुआत है. यह एक कोशिश है; उन बच्चो को पढ़ाने की, शिक्षित बनाने की जो स्कूली शिक्षा से वंचित है. आर्थिक रूप से दबे-कुचले इन बच्चो को स्कुलो की चौखट तक पहुंचाने की जो आज अपने दिनों की शुरुआत किताबो के साथ नहीं बल्कि ऐसे कामो से करते है जो क़ानूनी रूप से उनके लिए प्रतिबंधित है. वे ऐसा मात्र अपने और अपने परिवारों के दैनिक जरूरतों को पूरा करने के लिए करते है.
नई दुनिया की शुरुआत एक ऐसी झुग्गी बस्ती से होती है जहाँ ज्यादातर बिहार एवं उत्तर-प्रदेश पलायन किये हुए गरीब मजदुर अपने परिवार के साथ रहते है. इनका मुख्य पेशा कबाड़ी चुनना एवं उन्हें बेचना है और इस काम में उनका साथ उनके बच्चे देते है जिनकी उम्र ४ साल से लेकर १० साल तक है. बात करने पर इन बच्चो ने बताया की वे सुबह नौ बजे कुछ खाकर घर से निकल जाते है और जगह-जगह से कबाड़ी एकत्र करते है. दोपहर का भोजन उन्हें खुद ही इंतजाम करना होता है . शाम को लौट कर ये बच्चे अपने बस्ती में खेलते है एवं कुछ समय के बाद रात का भोजन कर सो जाते है .
गरीबी एवं अभाव में पलने वाले गन्दी बस्ती के इन बच्चो ने काफी उत्साह दिखाया जब मैंने इन बच्चो के बीच पाठ्य-सामग्री का वितरण किया. इन बच्चो की तार्किक एवं बौद्धिक क्षमता अन्य सभी बच्चो की तरह ही सुदृढ़ एवं विकसित दिखा, फर्क सिर्फ इतना है की ये बच्चे अभाव में जीते है और स्कूल की जगह काम पे जाते है .
मेरी कोशिश है इनको सभ्य नागरिक बनाने की. इसके लिए मैंने अपना कदम आगे बढाया है और इन बच्चो को शाम के समय इनके बस्ती में प्रारंभिक शिक्षा के लिए पाठशाला का आयोजन किया है. यदि आपको मेरा प्रयास सही लगा तो आप भी अपना योगदान दे सकते है मेरी दुनिया से जुड़कर. आपके द्वारा किया गया प्रयास इन बच्चो के भविष्य को उज्जवल बना सकता है .
Vashistha Ray
9211364624